Russian President Putin (पुतिन) in action।। ईरान(Iran) और अमरीका (America) तनाव पर सबसे बड़ी खबर

Patrika 2020-04-11

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अमेरिका के एयर स्ट्राइक में ईरान के शीर्ष जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने के बाद बदले की कार्रवाई करते हुए आज ईरान ने एक बार फिर इराक में अमेरिकी सेना के कैंप पर मिसाइल दागे जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अब अहम कदम उठाया है। इसमें गौर करने की बात यह है कि ईरान ही वह देश था जिसके आग्रह पर रूस ने सीरिया में असद परिवार की मदद के लिए सेना भेजी थी। इसमें भी तथ्य यह भी है कासिम सुलेमानी ही वह शख्स था जिसने रूसी सेना को सीरिया में दखल और सैन्य हस्तक्षेप की रणनीति बनाने में मदद की थी। माना जाता है सीरिया और ईरान के शासकों में लंबे समय से बेहतर संबंध रहे हैं। ऐसे में पुतिन का सीरिया की राजधानी दमिश्क जाना एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आश्चर्यजनक तरीके से सीरिया की यात्रा के दौरान अपने सीरियाई समकक्ष बशर अल-असद से मुलाकात की है, क्योंकि ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच इसी क्षेत्र में युद्ध की संभावना है.रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यह पहली दमिश्क और सीरिया की दूसरी आधिकारिक यात्रा है. नौ साल से सीरिया में युद्ध जारी है. सीरिया की बशर अल असद सरकार का समर्थन करने के लिए 2015 में रूसी सेना इससें शामिल हुई थी.दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के सामने रूसी सेना के कमांडर ने सैन्य तैयारियों का ब्यौरा दिया. सीरियाई राष्ट्रपति ने पुतिन से हाथ मिलाने की एक तस्वीर को साझा करते हुए अपने बयान में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और सीरिया में शांतिपूर्ण जीवन की बहाली में रूस और रूसी सेना की मदद के लिए शुक्रिया.वहीं पुतिन के हवाले से इस दौरे को लेकर प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, "असद के साथ अपनी बातचीत में, पुतिन ने कहा कि हम अब विश्वास के साथ कह सकते हैं कि सीरियाई का राष्ट्र दर्जा और देश की क्षेत्रीय अखंडता को बहाल करने के दिशा में एक बड़ी दूरी तय कर ली गई है.उधर, ईरान ने दावा किया है कि उसने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी को मारने का बदला ले लिया है. ईरान ने कहा है कि उसने अमेरिकी सैन्य ठिकाने पर हवाई हमला किया जिसमें 80 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई. अब पूरी दुनिया इस बात से आशंकित है कि कहीं इस हमले की प्रतिक्रिया में अमेरिका ईरान पर हमला न कर दे. वैसे तो ये कहा जा रहा है कि अमेरिका के सामने ईरान की सैन्य क्षमता बेहद कमजोर है लेकिन युद्ध हुआ तो खाड़ी देशों की हालत एक बार फिर खराब हो जाएगी.

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