माघ कृष्ण तृतीययुत चतुर्थी पर सोमवार यानि आज संकष्ट चतुर्थी (तिलकुटा चौथ) मनाई जा रही है । महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए चौथ का व्रत करती है । इस दिन चन्द्रोदय रात 8 बजकर 44 मिनट पर होगा। यह साल की चार बड़ी चतुर्थियों में एक है। पंडित बंशीधर ज्योतिष पंचांग के दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि यह साल 2020 की पहली और संवत् 2076 की आखिरी बड़ी चौथ है । इस दिन चतुर्थी तिथि शाम 5 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी, ऐसे में चौथ का व्रत तृतीय युत चतुर्थी में है । इससे पहले दिन में महिलाएं गणेशजी और चौथ माता की पूजा कर चौथ माता को तिल के लड्डू, गजक आदि अर्पित करेंगी। महिलाएं चौथ माता की कथा सुनेंगी। वहीं, रात को चन्द्रमा को अघ्र्य अर्पित कर व्रत खोलेंगी। कुछ महिलाएं चौथ का उद्यापन भी करेंगी। सुहागिन महिलाओं को तिल के लड्डू और फीणी के साथ सुहाग की वस्तुएं भेंट करेंगी आपको बता दे संकष्टी का अर्थ होता है संकटों का हरण करने वाली चतुर्थी। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रख भगवान गणपति की विधि विधान अराधना की जाती है तथा उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं। जानकारी के अनुसार महिलाएं व्रत रखने वाले इस दिन सुबह स्नान कर निर्जला व्रत करने का संकल्प लें। रात में चंद्र दर्शन के बाद इस व्रत को खोला जाता है। कई जगह महिलाएं पूरे दिन कुछ ग्रहण नहीं करती और अगले दिन इस व्रत को तोड़ती हैं। तो वहीं कुछ स्थानों पर व्रत तोड़ने के बाद खिचड़ी, मूंगफली और फलाहार किया जाता है। इस दिन शकरकंद जरूर खाया जाता है।ना की जाती है तथा उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं।