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Patrika 2020-04-12

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जरा सोचें, संकट की इस घड़ी में कौन हमारा साथ निभा रहा है। गली के बाहर नुक्कड़ पर पंसारी की दुकान वाला, वो सब्जी के ठेले वाला या वह किराणा स्टोर वाला तो अब वाट्सअप पर लिस्ट भेजते ही घर के दरवाजे तक पूरा राशन भी पहुंचा रहा है। दरअसल, यही लोग इस संकट में हमारे सारथी की भूमिका निभा रहे हैं। कहते भी हैं, मित्र की पहचान संकट की घड़ी में ही होती है। विपदा के इस दौर में कहां हैं वे बड़ी-बड़ी ऑनलाइन मल्टीनेशनल और ई-कॉमर्स कंपनियां..? अच्छे समय में बहुराष्ट्रीय कंपनियां मुनाफा कमाती हैं और संकट में गायब हो जाती हैं। जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा ये कंपनियां फिर सक्रिय हो जाएंगी और छोटे दुकानदार और असंगठित कामगार फिर से भुला दिए जाएंगे। लेकिन प्रतिकूल हालात में साथ देने वाला ही है हमारा रियल इंडिया...। इसी रियल इंडिया को समर्पित है हमारी यह सीरीज -संकट के सारथी...। जिसमें पत्रिका आपको रूबरू करवाएगा ऐसे ही रियल हीरोज से जो संकट में हमारे सारथी बने हुए हैं। साथ ही, इनकी आवाज भी बनेगा यह मंच।

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