सुल्तानपुर- अफसर मिर्जा, लॉकडाउन से कुछ दिन पहले इन्हे एक बाइक कंपनी मे जाब मिली। पहली सैलरी उठाई थी के कोरोना महामारी ने देश मे पैर पसारे, और काम-धंधा बंद हो गया। मिर्जा ने घर बैठने से बेहतर समझा विपदा में क्यूं न लोगों की मदद की जाए। कदम उठाया तो अकेला लेकिन कारवां बन गया। शहर के नबीपुर में रहने वाले अफसर ने साथी प्रशांत तिवारी और फैज अहमद के साथ मजबूरो के दरवाजे तक राशन पहुंचाने की मुहिम छेड़ दी। खास बात ये रही कि सबने गंगा-जमुनी तहजीब को जिंदा रखा। मिर्जा बताते हैं कि 25 मार्च से शुरूआत किया, घर से खाना बनवा कर हास्पिटल मे मरीज और तीमारदारो तक पहुंचाया। ऑटो रिक्शे वालों की भी मदद की। इनके समूह ने लॉकडाउन के 22 वें दिन 36 परिवार को 10 दिन का राशन मुहैया कराया है। इस तरह अब तक कुल 442 परिवार की मदद की जा चुकी है। मिर्जा ने बताया कि आशीष, रुस्तम, सत्यम गुप्ता, दुर्गेश अग्रहरि, अतुल अग्रहरि, कान्हा बरनवाल, सलमान शेख, डा. नदीम आदि ने भी सहयोग किया है। स्वयं मुझे कंपनी से मिला पहला वेतन 16 हजार, और पास मौजूद 34 हजार यानी कुल मिलाकर 50 हजार खर्च कर डाले हैं। लेकिन आगे चेन चलती रहेगी, किसी को भूखा सोने नही देंगे ये संकल्प है।