कोरोना महामारी के चलते पूरा देश लॉकडाउन से गुजर रहा है। आर्थिक गति विधियां बंद हैं। महामारी से बचाव के साथ ही देश के लोगों के सामने आर्थिक मोर्चे की चुनौतियां बढ़ गई हैं। सरकार भी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का प्रयास कर रही है। इसी बीच खबर आई है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए देश के धनकुबेरों यानी अमीरों से अधिक टैक्स वसूलने की सलाह देना कुछ अधिकारियों को भारी पड़ गया। मोदी सरकार इस सलाह पर इतनी नाराज हुई कि तीनों अधिकारियों से उनके पद से मुक्त कर दिया गया, यहां तक उन पर नए अधिकारियों को बरगलाने को लेकर जांच बैठा दी गई है। मामला है आईआरएस एसोसिएशन का। राजस्व विभाग को कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था से उबरने के लिए प्रस्ताव तैयार करना था। तो राजस्व अधिकारियों के संगठन आईआरएस एसोसिएशन ने सरकार को देश के अमीरों से अधिक टैक्स वसूलने का सुझाव दिया। एसोसिएशन की ओर से फोर्स नाम की एक रिपोर्ट सबमिट की गई। कोरोना टैक्स का नया सुझाव दिया गया कि अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूला जाए। इससे मध्यम वर्ग के साथ ही सरकार पर बोझ नहीं होगा। अब यह सुझाव केंद्र सरकार को रास नहीं आया। देश के अमीरों या बड़े उद्योगपतियों से टैक्स अधिक वसूलने के सुझाव पर सरकार इतना नाराज हुई कि वित्त मंत्रालय ने राजस्व विभाग के उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का फैसला किया है, जिनकी अगुआई में एसोसिएशन के अधिकारियों ने यह सुझाव दिया था। फोर्स नाम की यह रिपोर्ट राजस्व सेवा के 50 अधिकारियों ने मिलकर तैयार की थी। वित्त मंत्रालय ने जांच के बाद आइआरएस एसोसिएशन के महासचिव के साथ ही वर्ष 1988 बैच के आइआरएस अफसर प्रशांत भूषण, डीओपीटी में निदेशक व आइआरएस एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रकाश दुबे और राजस्व विभाग में पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रमुख जांच निदेशक संजय बहादुर को तत्काल प्रभाव से उनके पद से भी हटा दिया है।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इन अधिकारियों ने अपने पद व सेवा शर्तो का उल्लंघन करते हुए एक गैर आधिकारिक रिपोर्ट तैयार करने में मदद की और उसे मीडिया में लीक करवाया। इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की बात पर तीनों को पद मुक्त कर दिया गया। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने से देश के उद्योगपति लॉबी में हलचल बढ़ गई है।
हलचल क्यों बढ़ी, इसकी जानकारी फोर्स की रिपोर्ट में है इसमें एक सुझाव यह दिया गया कि एक करोड़ रुपए से ज्यादा आय वाले लोगों पर आयकर की दर को बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया जाए। वित्त मंत्रालय का कहना है कि इससे कर नियोजन को लेकर सरकार की कोशिशों को झटका लगा है। रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाने से सरकारी कामकाज के विश्वास को भी धक्का लगा है। विश्वसनीय रिपोर्ट की जानकारी लीक करने पर इन तीनों अधिकारियों पर जांच कमेटी बैठाई गई है।