लॉक डाउन में जो जहाँ था वहीं फंस गया। जानवर भी इससे अछूते नहीं रहे। इंसान ही नहीं जानवरों को भी इस त्रासदी का दंश झेलना पड़ रहा है। आज हम आपको परिवार से बिछड़े एक बंदर का एक ऐसा ही सच्चा किस्सा दिखाने जा रहे हैं। दरअसल, यूपी के बुलंदशहर में परिवार से बिछड़ा एक बंदर का बच्चा थाने की शरण में आ गया तो मासूम बंदर पर अगौता थाने में तैनात दरोगा संजय त्यागी की नज़र उसपर पड़ी।
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दरोगा बंदर को खाना, पानी आदि मुहैया कराने लगे। देखते ही देखते बंदर को अब दरोगा से इस कदर लगाव हो गया कि बंदर दरोगा के इर्द-गिर्द नज़र आता है, बंदर थाने के भीतर कुर्सी पर बैठे दरोगा की बाजू पर अठखेलियां करता है। कंधे पर चढ़ जाता है, और बाजू का तकिया बनाकर मेज पर ही सो भी जाता है। दरोगा संजय त्यागी की मानें तो वह बंदर की देखभाल में करीब एक माह से जुटे हैं। बंदर को खाना खिलाते हैं। पानी पिलाते हैं और ब्रेड भी खिलाते हैं। दरोगा संजय त्यागी ने बताया कि वह बंदर को कई बार उसके झुंड में छोड़ कर आ चुके हैं, लेकिन वाह बार बार मेरे पास ही थाने में लौट आता है।
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दरोगा संजय के मुताबिक बन्दर करीब एक माह से इंसानों के बीच रह रहा है। इसलिये बंदर के जिस्म में इंसानी खुशबू आने लगी है, यही कारण है कि बाकी बन्दर अब इस छोटे बन्दर को साथ नहीं रखते।
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