शहडोल जिले के जैतपुर तहसील के अंतिम छोर पर बसे खड़ाखोह के जंगल में एक दुर्गम स्थल है राजमाड़ा....जहां इंसान और बेजुबान के मधुर संबंधों का जीता जागता उदाहरण देखने को मिलता है...इस दुर्गम स्थल पर सीताराम बाबा एक कुटिया बनाकर निवास करते हैं... खास बात ये है कि बाबा जैसे ही अपने वाद्य यंत्रों के माध्यम से भगवान के भजन गाना शुरु करते है...वैसे ही उनकी धुन सुनकर जंगली भालूओं का एक दल श्राद्ध भाव से यहां आ जाता है....इस दल में एक नर और मादा भालू के साथ उनके दो शावक हैं, और जब तक बाबा का भजन गायन चलता है तब तक बड़े ही श्रद्धा भाव से भजन का आनंद लेते हैं, प्रसाद ग्रहण करते हैं और वापस जंगल चले जाते हैं....