देशभर में मजदूरों के पैदल पलायन के दर्दनाक मंजर सामने आ रहे हैं। कई बार इनकी बेबसी को देखकर दिल फफक पड़ता है। सरकार ने बसे ट्रेन चलाने के दावे किए हैं, लेकिन असल में मजदूरों तक मदद के हाथ नहीं पहुंच रहे हैं। लॉकडाउन से परेशान मजबूर मजदूर कैसे भी करके अपने घर जाना चाहते हैं। इसके लिए वो दिन-रात पसीना बहाकर कई किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें एक मजदूर 17 दिन तक अपने गर्भवती पत्नी और बच्चे को हाथगाड़ी में बैठा कर खींचकर मध्यप्रदेश लाया। गाड़ी खींचने वाले व्यक्ति का नाम रामू घोरमरे है। जो बालाघाट के कुदेमोह गांव के निवासी हैं। लेकिन वो हैदराबाद में काम करते थे। लॉकडाउन के चलते रोजगार छीन गया। कोई रास्ता नहीं बचा तो घर आने का फैसला लिया। लेकिन यह काफी मुश्किल था, 8 माह की गर्भवती के साथ सफर करना आसान नहीं था। ट्रक में जाने पैसे नहीं थे तो प्लास्टिक की कतरन, पाइप और रस्सियों से रामू ने हाथगाड़ी बनाई। और दो हफ्ते तक पैदल गाड़ी को खींचकर मध्यप्रदेश पहुंचे। बालाघाट के राजेगांव इलाके पर पुलिस ने इनकी मदद की। हैरानी की बात यह है कि इतने लंबे रास्ते में कोई परिवार की मदद के लिए नहीं आया।