On a tour of India, the captain of the Pakistan cricket team, Inzamam-ul-Haq, met a young man who gave him the telephone number of his mother, Pushpa Goel, requesting that he hand it over to his parents in Multan. The cricketer conveyed the message to his parents and sure enough, the call from Multan came. Inzamam’s father hadn’t forgotten Pushpa, whose parents had sheltered him and his family from a murderous mob in Hissar in Haryana during the Partition.
ये कहानी इंजमाम उल हक़ की है. ये कहानी उस पलायन की है. जब दो दिलों के साथ देशों का बंटवारा हो गया था. भारत के कई मुसलमान पाकिस्तान जा बसे. जबकि पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू भारत आ गए. इस बंटवारे में कई लोगों की जान चली गयी. काफी खून खराबा हुआ था. आज हम आपको ऐसी ही एक कहानी बताने जा रहे हैं जब इंजमाम उल हक के परिवार को एक हिन्दू ने बचाया था. कुछ साल पहले इंजमाम भारत आए तो वह हरियाणा के एक युवक से मिले, जिसने उन्हें एक टेलीफोन नंबर दिया, जो उसकी मां पुष्पा गोयल का था. उस युवक ने उनसे कहा कि वह ये नंबर मुल्तान में अपने पेरेंट्स को दे दें.
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