मजबूर मजदूरः सुनिए मजदूरों की बेबसी को बयां करती यह कविता

Bulletin 2020-05-19

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मजदूरों के पलायन का दर्द ऐसा है जिसे देख दिल चीख उठाता है। सुनसान सड़कें हैं, जिनपर केवल कदमों का शोर हैं। भूखे प्यासे मजदूर अपने घर के सफर पर हैं लेकिन कईयों को सफर अधूरा रह जाता है। भूखे नन्हें कदम सूरज की तपिश में जल रहे हैं। मजदूरों की इसी मजबूरी पर सुनिए यह कविता।

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