कोरोना वायरस ने हम लोगों की जिंदगी पूरी तरह बदल रख दी है .हमारा रहन-सहन हमारी दिनचर्या और हमारे काम काज का ढंग बिल्कुल ही बदल गया है .संकट के समय ने हमें जिंदगी की हकीकत से रूबरू कराया है इसी कोरोना ने राजनेताओं का असली चरित्र भी उजागर कर दिया है .उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के आपसी राजनीतिक दांवपेच के चलते मजदूर बसों की मदद से वंचित रह गए. जहां एक और कांग्रेस मदद के बहाने उत्तर प्रदेश की सरकार को नकारा साबित करना चाह रही थी वही भाजपा को डर था कि कांग्रेस को किसी तरह का राजनीतिक फायदा ना मिल जाए. इसलिए जब कांग्रेस ने बसों की लिस्ट सौंपी तो उसमें कई तरह की कमियां निकाली गई और कई तरह की फिटनेस कई तरह की तकनीकी कमियों का हवाला देकर बसों को मजदूरों को ले जाने की अनुमति नहीं दी गई . बेचारे मजदूर भूख प्यास से तड़पते हुए भरी गर्मी में सड़क पर पैदल ही चलने को मजबूर हो गए. जब नेताओं के निजी स्वार्थ की बात आती है तब वह लोग कोई नियम कायदे नहीं देखते हैं .जब चुनावी रैलियों में भीड़ की जरूरत पड़ती है तो लोगों को ले जाने के लिए बसों का फौरन इंतजाम हो जाता है, जब चुनाव में वोट डालने के लिए वोटर को पोलिंग बूथ पर पहुंचाना होता है तो वाहनों का इंतजाम बहुत सरलता से और आसानी से हो जाता है .उस समय यह नहीं देखा जाता कि जो वाहन लोगों को ले जा रहे हैं वह पूरी तरह से फिट है या नहीं उनके कागजात पूरे हैं या नहीं. नेताओं की यही नियत दर्शाने की कोशिश की है हमारे कार्टूनिस्ट सुधाकर सोनी ने