इन दिनों सऊदी अरब से जारी हुआ एक फतवा सोशल मीडिया पर जोरो पर वायरल हो रहा है फतवे में कहा गया है कि ईद की नमाज बिना कुतबा के भी अदा की जा सकती है फतवो की नगरी देवबंद में इस फतवे पर देवबंदी मुफ्ती ने कहा कि अलग-अलग मसले हैं और अलग अलग देश है। ऐसी जगह नमाज उस वक्त हो सकती है जहां इमाम ना हो और मसले में बहुत बारीकियां होती है सऊदी अरब के उलेमाओ ने कोरोना वायरस को लेकर यह फतवा जारी किया गया है। देवबंदी उलेमाओं मुफ्ती तारिक कासमी ( अध्यक्ष जामिया हुसैनिया देवबंद ) ने फतवे पर राय देते हुए कहा कि सऊदी अरब से जारी किया गया फतवा वहां के नागरिकों के लिये मान्य है जबकि भारतीय मुसलमानो के लिए इस्लामिक मोहतरीम इदारे औऱ मुफ़्ती की हिदायत है उन्ही के ऊपर अमल करना जरूरी है। जिस तरह भारत मे रमजान महीने में जुम्में के दिन के सिलसिले में जो बातें कही गई थी। क्योंकि ईद और जुम्मे की शर्तें एक जैसी ही है। नामज कि वक्त इमाम के अलावा कम से कम तीन बालिग आदमी का का होना जरूरी है। साथ मुसलमाना को जुम्मा उस जगह पढ़ना चाहिए जहां किसी तरह की कोई रोकटोक ना हो। जैसे बाहरी कमरा या बैठक में पढ़ी जा सकती है। ईद और जुम्मा की नमाज में थोड़ा सा ही फर्क है। उलेमाओ का साफ कहना है जिस स्थान पर आप जुम्मा पढ़ते है उस जगह पर ईद की नमाज भी पढ़ी जा सकती है। उन्होंने बताया कि जुम्मा का खुतबा जुम्मा पढ़ने से पहले दिया जाता है और जुम्मा का खुतबा जुम्मा के लिए शर्त है। यानी बगैर खुतबे के जुम्मा की नमाज नही होगी। ईद का खुतबा ईद की नमाज के लिए शर्त नही बल्कि सुन्नत है।