राज्यसभा के चुनाव हों तो बाड़ाबंदी! विधानसभा चुनाव के बाद किसी राज्य में सरकार बनाने का सवाल हो तो बाड़ाबंदी ! पंचायत और पालिकाओं के चुनाव हों तो बाड़ाबंदी ! और तो और किसी सरकार को लोकशाब या राज्य विधानसभा में अपना बहुमत सिद्ध करना हो तभी भी बाड़ाबंदी ! बाड़ाबंदी के ऐसे दृश्य अपने देश में हम पिछले तीन दशक से देख रहे हैं। पहले दो चार साल में एक बार होते थे अब साल में दो-चार बार होते हैं। पेश है राजस्थान पत्रिका के डिप्टी एडिटर गोविन्द चतुर्वेदी की कलम से...दखल...चुनाव सुधारों में देरी के खतरे
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