सपने बड़े हों तो हर मुश्किल छोटी हो जाती हैं। टोंक जिले के मालपुरा के रहने वाले अबू बकर सिद्दीक के जीवन की मुश्किलें भी उसके हौसले के आगे टिक न सकी। अब वो एक बार फिर अपने आईएएस बनने का सपना पूरा करने में जुट गया है। 12वीं में 92 अंक लाकर अपने सपनों को उड़ान देने वाले अबू को घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ देने का मलाल रहा। लेकिन अब फिर किताबों से दोस्ती कर ली है।
12वीं में 92 प्रतिशत के बाद छोड़नी पड़ी पढ़ाई
अबू बताते हैं कि 2010 में उनके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद उनके बड़े भाई पर परिवार की जिम्मेदारी आ गई। वो लोगों के बाल काटकर पुश्तैनी काम से जुड़े रहे। फिर भी घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उनके अकेले के काम से घर का खर्च पूरा नहीं पड़ता था। इसलिए मजबूर होकर उन्होंने अबू के 12वीं के इम्तिहान के बाद उससे भी काम में साथ देने के लिए कहा। कॉलेज जाने का सपना और आईएएस की तैयारी छोड़ उसे भी इस पुश्तैनी काम में लगना पड़ा।
प्रतिभा को मिला साथ
अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष हारुन खान ने बताया कि जब अबू बकर की प्रतिभा का उन्हें पता चला तो उन्होंने परिवार और अबू को भरोसा दिलाया कि वे हर तरह से मदद कर अबू को आगे पढ़ाएंगे। महासंघ के साथ ही अल अव्वल एजुकेशन एवं वेलफेयर ट्रस्ट की ने अबू की ना सिर्फ कॉलेज की पढ़ाई बल्कि यूपीएससी की तैयारी का खर्च वहन करने का बीड़ा उठाया है।
फिर सपने देखने लगी आंखें
बारहवीं में 92 प्रतिशत नम्बर लाने के बाद भी पढ़ाई जारी न रख पाने का मलाल अबू को था। साथ ही आईएएस बनने का सपना भी उसे पूरा होता नजर नहीं आ रहा था। अब अबू पूरी तरह अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रहा है। उसका कहना है कि लोगों के साथ की वजह से फिर से आईएएस बनने का सपना देखने लगा है। जिसे वो हर हाल में पूरा करेगा।