क्या गैंग्स्टर विकास दुबे का एनकाउंटर (Vikas Dubey Encounter) वास्तव में यूपी पुलिस की 119वीं मजबूरी है? क्या उसकी मौत से 8 पुलिस वालों की हत्या का बदला पूरा हुआ? या फिर इंसाफ का ही एनकाउंटर हो गया? माफिया, पुलिस और नेता के मौजूदा गठबंधन को तोड़ने का क्या है रास्ता? देखिए ‘पत्रिका’ के खास कार्यक्रम ‘सॉलिड बात विद मुकेश केजरीवाल’ में-