जयपुर। राज्य की 55 हजार आशा सहयोगिनियों को राज्य सरकार ने घर—घर जाकर कोरोना का सर्वे और स्क्रीनिंग के काम में लगाया है। यह स्क्रीनिंग एंड्रायड मोबाइल से 'लिसा' एप्प के जरिए होनी है, लेकिन आशा सहयोगिनियों के साथ मुश्किल यह है कि वे एंड्रायड मोबाइल लाए कहां से। 10 जुलाई से यह सर्वे का काम शुरू किया गया है। लेकिन अब तक लिसा एप्प के सहयोग से स्क्रीनिंग नहीं हो पा रही है। मुश्किल इसलिए आ रही है कि इन आशा सहयोगिनियों को प्रतिमाह मानदेय 2700 रुपए दिए जाते हैं। इतने मानदेय में आशा सहयोगी अपना घर ही ठीक से नहीं चला पाते और मोबाइल का खर्च दस हजार के आसपास होता है। ऐसे में वे कौनसे मानदेय से मोबाइल खरीदें और एप्प डाउनलोड करें।
कोरोना वॉरियर्स के रूप में कर रही काम
राज्य में पहले लॉकडाउन से ही आशा सहयोगिनी कोरोना वॉरियर्स के रूप में काम कर रही हैं। घर—घर जाकर रोगियों के बारे में जानकारी लेना, गर्भवती महिलाओं का सर्वे करना, पांच साल से छोटे बच्चों का समय पर टीकाकरण करवाने जैसे कई काम आशा सहयोगिनियों की मदद से किए गए। लॉकडाउन के दौरान लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, उसे दौरान भी आशा सहयोगियों के कारण ही गर्भवती और छोटे बच्चों को समय पर इलाज मिल पाया।
प्रोत्साहन राशि सिर्फ 3 हजार
कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों के रूप में अपनी सेवाएं देने पर सरकार ने तीन महीने तक आशा सहयोगियों को एक—एक हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी। जो इस माह से बंद कर दी गई है। और इसी जुलाई माह से घर—घर जाकर कोरोना सर्वे और लोगों की स्क्रीनिंग का काम इन्हें दिया गया है। जोखिम भरे काम को करने के लिए उन्हें लिसा एप्प की मदद लेनी है, लेकिन मोबाइल के अभाव में वो भी नहीं हो पा रहा। इस पर भी सरकार इनका मानदेय बढ़ाने या प्रोत्साहन राशि आगे भी दिए जाने को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही।