जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर ये राखियां महिलाओं के स्वयं समूह सहायता ग्रुप द्वारा बनवाई है।इनकी कीमत भी 11 रुपये से 40 रुपये तक रखी गयी है। राखी ये शब्द जहां में आते ही भाई बहन के प्यार की छवि दिमाग मे आ जाती है ।और रक्षाबंधन का पवित्र त्योहार भी आने को है।ऐसे में राखियों से बाजार गुलजार हो गए है।लरकीं इस बार बाजार के साथ- साथ गाजियाबाद विकास भवन भी राखियों से गुलजार है। ये सभी राखियां दाल, चावल,गेंहू,गेंदे के फूल,मेकरोनी,बाजरा इत्यादि से बनाई गई हैं।साथ ही तमाम राखियां हाथों से ही बनाई गई हैं।आपको बता दे इन राखियों को बनाने के पीछे जहां एक तरफ इसका मकसद ईको फ्रेंडली राखियां बनाने का है। वहीं दूसरी ओर महिलाओं को भी जीविका देने का है।जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर ये राखियां महिलाओं के स्वयं समूह सहायता ग्रुप द्वारा बनवाई गई है।ये महिलाओं का वो समूह होता है। जिसको प्रशासन की तरफ से काम दिया जाता है ।ताकि महिलाएं भी स्वयं अपनी जीविका चला सके साथ ही आत्मनिर्भर बन सकें।इन रखियो को लोगबाग भी खासा पसंद किया जा रहा है।इन राखियो की खासियत ये भी है कि जिस तरह राखियां टूट कर गिर जाती है ।उसी तरह अगर ये राखियां भी टूटकर कही गिरेंगी, तो एक नया पौधा भी वह उग सकता है।बेशक ही जिला मिशन प्रबंधन इकाई के साथ रूडसेटी ने मिलकर ये राखियां महिलाओं के स्वयं समूह सहायता ग्रुप द्वारा बनवाई गई है।मगर ये सोच वाकई काबिल-ऐ-तारिफ है कि जिस तरह ये राखियां बनाई गयी है वो वास्तव में वाकई एक अच्छी पहल है और इन राशियों को लोग भी बखूबी ढंग से पसंद कर रहे हैं।