Brother and sister's unbreakable festival Rakshabandhan is tomorrow. This time this festival will be special. The indigenous ashes, not foreign ones, will be tied on the wrist of brothers, their demand for rakhis is also high. People are buying themselves ashes. Removed China-made rakhi from homes and started indigenous rakhi reaching homes and mohallas. These ashes are competing not only with Chinese dynasties but also by its low prices.
भाई-बहन का अटूट पर्व रक्षाबंधन कल है। इस बार ये पर्व खास होगा। भाइयों की कलाई पर विदेशी नहीं स्वदेशी राखियां बंधेगी, इनकी राखियों की डिमांड भी खूब है। लोग खुद जाकर राखियां खरीद रहे हैं। घरों से चीन निर्मित राखी को निकाल दिया है और स्वदेशी राखियों को घरों और मोहल्लों तक पहुंचना शुरू कर दिया है। ये राखियां चीन की राखियों को ही नहीं बल्कि उसके कम दाम को भी टक्कर दे रही है।
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