Sugreev and Bali - Good and Bad Habits
रामायण में दो वानर भाई दर्शाये गए है, बालि और सुग्रीव | बालि बुरी आदतों का प्रतिक है और सुग्रीव अच्छी आदतों का | आदतें सिर्फ एक अनुसाशन है और इसका ऐश्वर्यता की खोज में कोई बड़ा फर्क नहीं है | श्रीराम को बालि को मारते समय दोनों भाई में कोई फर्क नहीं दिखा |
सुग्रीव अपना काम निकलने के बाद श्रीराम को किये हुए वादे भूल जाता है | रास्ते पर लाने के लिए लक्ष्मण को उससे भय दिखाना पड़ता है | ईश्वर के भय से डर कर अच्छाई करना कोई अच्छी बात नहीं है |
मीत्तेया बुरी आदतों की वकालत नहीं कर रहे | वो कहते है कि बालि ने रावण को अपनी पूंछ में बाँध कर हज़ारो साल रखा था | बुरी आदते मनुष्य दिमाग को विकसित नहीं होने देती | बुरी आदतों की हत्या अनिवार्य है | मीत्तेया अंगद के बारे में कहते है कि अंगद जिद्द का प्रतिक है | ये अंगद ही हमें आगे ले जाएगा | ईश्वर को प्राप्त करने कि जिद्द ,सत्य को प्राप्त करने कि जिद्द,यही काम का गुण है.
समस्या अच्छा या बुरा कर्म नहीं है | समस्या कर्ता स्वम व्यक्ति खुद है |
कर्ता होने का भ्रम मनुस्य में अहंकार या ग्लानि पैदा कर्ता है | ईश्वर प्राप्ति के लिए कर्ता का भ्रम निकालना जरूरी है