डिप्रेशन एक बेहद खतरनाक मनोवैज्ञानिक रोग है और यह कई और रोग जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हाइपर टेंशन आदि का जन्म देती है। इसका इलाज़ दवाइया नहीं मनोचिकित्सा ही है।
मितेया की किताब धर्म शास्त्रों पर आधिरित जरूर है परन्तु यह समूर्ण रूप से मनोविज्ञान को समझाती है। मितेया ने महाभारत और भगवत के अंतर्गत आने वाले दो वंस पर विशेष ध्यान देने कहा है। पहला चक्र भीष्म, चित्रगंधा, विचित्रवीर्य और व्यास का है और दूसरा चक्र ययाति, पुरु, यदु और कृष्णा का है। इन दो चक्र में ही डिप्रेशन का इलाज छुपा है।
मितेया अपनी इन्द्रियों को स्वच्छ करने की बात करते है और कहते है कि जब तक इन्द्रियाँ स्वच्छ नहीं होगी तब तक कृष्ण यानी विवेक का आपके जीवन में प्रवेश नहीं होगा।
पुराने काल में "लड़ो या भाग जाओ" चल जाता था परन्तु अब भागना संभव नहीं है। आधुनिक जीवन के भय दीर्घकालीन है और हमें उनसे लड़ने के लिए वैज्ञानिक रूप से अपने आपको तैयार करना होगा।
एक बेहतरीन डिस्कोर्स।