Outspoken and unapologetic, Ismat Chughtai was a writer, an educationist and a champion of women’s empowerment. She is regarded as one of the four pillars of Urdu fiction, with the other three being her male contemporaries, namely Saadat Hasan Manto, Krishan Chander and Rajinder Singh Bedi. But while her legacy is celebrated and commemorated by some, this daring icon of feminism has gone largely ignored within many literary circles.
बात एक ऐसे महिला लेखक की जिसने अपनी लेखन से महिलाओं के प्रति समाज के दोहरे रवैये को ना सिर्फ उजागर किया, बल्कि महिलाओं में एक नई चेतना का विकास भी किया. भले ही इस हिमाकत के कारण उन्हें समाज के ठेकेदारों का निशाना भी बनना पड़ा, पर वो झुकी नहीं. जी हां...हम बात कर रहे हैं उर्दू भाषा की एक चर्चित साहित्यकार इस्मत चुगताई की, जिन्हें प्यार से लोग आपा भी बुलाते थे. इस्मत चुगताई उर्दू ही नहीं भारतीय साहित्य में भी एक चर्चित और सशक्त कहानीकार के रूप में विख्यात हैं।
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