उत्तर प्रदेश पुलिस कंधे पर सूबे की कानून-व्यवस्था के नियंत्रण की बड़ी जिम्मेदारी है। कभी उपद्रव तो कभी विरोध प्रदर्शन हर हालात में पुलिस को लोगों पर काबू पाना होता है। अक्सर उग्र प्रदर्शनकारियों पर काबू करने के लिए पुलिस आंसू गैस, रबर और प्लास्टिक बुलेट फायर की जाती हैं। लेकिन वही अगर ये गोलियां फुस्स हो जाए तो पुलिस के लिए हैरान होना लाजिमी है। जी हां, यूपी के बाराबंकी जिले से ऐसी ही तस्वीर सामने आई हैं। अब सवाल उठ रहे हैं कि अगर पुलिस को किसी विरोध प्रदर्शन के दौरान गोलियां चलानी पड़ेंगी तो क्या होगा। क्या पुलिस नकली ठांय-ठांय करती रह जाएगी।
बाराबंकी में आगामी त्योहारों के मद्देनजर पुलिस मॉक ड्रिल और दंगा नियंत्रण के लिए बलवा ड्रिल का अभ्यास कर रही थी। अलग-अलग तरह की गोलियां चलाने के लिए पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था। इस दौरान मॉक ड्रिल में शामिल होने के लिए जिले भर के पुलिस कर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाया गया था। कतार में चार पुलिसकर्मी अपनी-अपनी बंदूकें लेकर फायर करने की तैयारी में थे। पहले और तीसरे पुलिसकर्मी ने फायर किया तो गोली ठीक निकली और दोनों ने राहत की सांस ली। लेकिन जब दूसरे और चौथे पुलिसकर्मी ने रबर बुलेट फायर की तो दोनों की फायर पहली बार मिस हुई।
बाराबंकी पुलिस के लिए मुश्किल उस वक्त खड़ी हो गई जब तमाम कोशिशों के बावजूद रबर बुलेट की गोली दोबरा में भी फायर ही नहीं हुई और यह पूरी घटना मीडिया के कैमरे में कैद हो गई। जिसके चलते बाराबंकी पुलिस का यह मॉक ड्रिल कार्यक्रम चर्चा का विषय बन गया। सवाल उठ रहे हैं कि अगर पुलिस को किसी विरोध प्रदर्शन के दौरान यही आंसू गैस का गोला चलाना पड़ता तो क्या होता।
वहीं बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि जब किसी विरोध प्रदर्शन में भीड़ उग्र हो जाती है तो वहां हमें संयमित बल का प्रयोग करना पड़ता है। हमारे पास लाठी के अलावा कुछ और उपकरण भी होते हैं जिनसे हम भीड़ पर काबू पा सकते हैं। आज उसी की प्रक्टिस हो रही थी, जिसमें जिले के सभी आलाधिकारी मौजूद रहे। वहीं बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉ. आदर्श सिंह ने बताया कि किसी भी विपरीत परिस्थिति से निपटने के लिए हम लोगों ने मॉक ड्रिल की, जिसमें पुलिस-प्रशासन के आलाधिकारी भी मौजूद रहे।
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