Pitru never wants to bother his children, they are very kind. But they are saddened by the neglect of their children, because they get fulfilled by the offspring performing shraddhakaram and pindadan etc., and they bless their offspring with wealth and happiness. Pitru does not want his children to do much to satisfy them, they accept with pleasure the shraddha performed with reverence. It has also been said that shraddh is incomplete without devotion. This is related to the mythological story of Shraddha Paksha, you know how to please your ancestors by being happy with reverence ...
पितृ कभी भी अपनी संतानों को परेशान नहीं करना चाहते हैं, वे बहुत दयालु होते हैं। लेकिन संतानों की उपेक्षा से दुखी हो जाते हैं, क्योंकि संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर उन्हें तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं। पितृ ये नहीं चाहते कि उनकी संतानें उनको तृप्त करने के लिए बहुत कुछ करें, वे श्रद्धा भाव से किए गए श्राद्ध के खुशी के साथ स्वीकारते हैं। कहा भी गया है कि श्रद्धा के बिना श्राद्ध अधूरा होता है। इसी से जुड़ी है श्राद्ध पक्ष की पौराणिक कथा, जानते हैं कि कैसे श्रद्धा भाव से प्रसन्न होकर पितर देते हैं अपना आशीर्वाद...
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