राजभवन से राष्ट्रपति भवन तक ज्ञापन भेजे जाने में ५ दिन
किसानों की उपेक्षा का संकेत: रामपाल जाट
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन अध्यादेशों के विरोध में राज्यपाल को दिए के ज्ञापन के राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने में पंाच दिन लगने को किसानों की उपेक्षा का संकेत माना है। जाट का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वर्षभर, ग्राम स्तर पर सम्पूर्ण उपज की खरीद की गारंटी का कानून बनाने एवं भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्र एक बाजार के तहत लाए गए कृषि किसान विरोधी अध्यादेशों को वापिस लेने के संबंध में राजस्थान के किसानों की ओर से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित करने के लिए राज्यपाल को 28 अगस्त को मेल भेजा गया। उन्होंने कहा कि किसानों के शिष्ट मंडल ने ज्ञापन सौंपने के लिए राजभवन में समय चाहा था लेकिन उन्हें कहा गया कि कोविड.19 में कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्यपाल किसी से भी भेंट नहीं करेंगे। तब राजभवन में मेल से भेजा गया। साथ ही प्रतिदिन राजभवन से प्रतिदिन संपर्क रखते हुए किसानों के ज्ञापन को उनकी अनुशंसा के साथ राष्ट्रपति भवन तक पहुचाने के लिए निरंतर विनती की गई। इसके बाद भी ज्ञापन को राष्ट्रपति भवन आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रेषित करने की जानकारी २ सितंबर को मिल सकी। जाट ने कहा कि प्रदेश में 23 अगस्त को किसान भवन में किसान संगठनों की बैठक में एक सामान संघर्ष का कार्यक्रम बनाने के लिए किसान संगठन राजस्थान के नाम से मोर्चा बनाया था। उसी निर्णय के अनुसार प्रदेश के 50 संगठनों की सूची के साथ समान संघर्ष कार्यक्रम के तहत यह ज्ञापन भेजा गया था।