आवारा पशुओं से किसानों को निजात दिलाने के लिए सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो खुद किसानों ने एक नायाब तरीका ढ़ूढ़ निकाला। जिले के किसानों ने एक ऐसी जुगाडू तोप तैयार की है जिसके एक धमाके आवारा पशु ही नहीं नीलगाय भी सिवान छोड़ दे रही हैं। किसानों के लिए यह प्रयोग काफी मुफीद साबित हो रहा है। पशु फसल के आसपास भी नहीं फटक रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2017 में यूपी में बीजेपी की सराकर बनने के बाद गोवंश वध पर पूर्णतया प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकार ने गोशाला में आवारा पशुओं को रखने का निर्देश जारी किया। कुछ गोशाला बनाई भी गयी लेकिन यह अपर्याप्त साबित हुई। यही नहीं गोशाला की देखरेख कर रहे लोग भी आवारा पशुओं रखने के लिए तैयार नहीं है। परिणाम है कि गाय के बछड़ों को पशुपालक सिवान में खुला छोड़ दे रहे है। यहीं नहीं जब गाय भी दूध देना बंद कर रही हैं तो उन्हें भी छोड़ दिया जा रहा है। इससे हर गली में आवारा पशु नजर आने लगे है।
आवार पशु जिस खेत में पहुंच रहे हैं पूरी की पूरी फसल चट कर जा रहे हैं। आवारा पशु और नीलगायों के आतंक से किसान परेशान हैं। वैज्ञानिकों की सलाह पर लोग फसलों में मछली, गो-मूत्र आदि का छिड़काव भी कर रहे है लेकिन पशुओं से निजात नहीं मिल रही है। प्रशासन भी इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे में अब किसानों ने खुद ऐसा हथियार बनाया है जो पशुओं को नुकसान भी नहीं पहुंचाता और उसकी तेज आवाज से पशु सिवान से भाग जाते है।
प्लास्टिक की पाइप से बना यह हथियार देखने में बिल्कुल सामान्य है। इसमें पाइप के अलावा गैस लाइटर का प्रयोग किया गया है। इसमें किसान कारवाइट व पानी डालकर फायर करते हैं। इसकी आवाज गोली अथवा पटाखे से कई गुना ज्यादा होती है। किसान इस हथियार के अस्तित्व में आने से काफी खुश है। कारण कि अब उन्हें पशुओं का आतंक नहीं झेलना पड़ रहा है। इस हथियार को बनाने वाले हरेंद्र यादव बताते हैं कि आवारा पशुओं से निजात के लिए गांव के लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया। फिर उन्होंने कई जुगाड़ किये लेकिन पशुओं से निजात नहीं मिली। अंत में तेज आवाज के लिए यह हथियार बनाया। जो पशुओं को किसी तरह की हानि भी नहीं पहुंचाता और वे भाग भी जाते हैं। करखिया रूस्तम सराय निवासी पेशे से इंजीनियर राम सिंह का कहना है यह एक महत्वपूर्ण आविष्कार है। मामली खर्च में हमें आवारा पशुओं के आतंक से निजात मिली है। हर गांव में किसानों को इसे ट्राई करना चाहिए।