बाराबंकी से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जो दिल को झकझोर देने वाली तो है ही साथ ही प्रदेश की बदतर स्वास्थ्य सेवाओं की कहानी भी कह रही है । यहाँ एक युवक को अस्पताल से एम्बुलेन्स नही मिली तो अपनी पत्नी के शव को ठेले से घसीटकर घर लाने को होना पड़ा । प्रदेश की ऐसी तस्वीरें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और स्वास्थ्य मन्त्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के दावे को चिढ़ाती दिख रही है ।
मामला बाराबंकी जनपद के थाना दरियाबाद इलाके के गाँव सुरजवापुर का है जहाँ के निवासी देशराज शर्मा की पत्नी गर्भ से थी और उसका प्रसव कराने वह स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर गए हुए थे । अस्पताल में उनकीं पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया मगर उसकी स्वयं की हालत खराब हो गयी और उसने उसी अस्पताल में अपनी अन्तिम साँस ले ली । डॉक्टरों ने जब जाँच की तो उसे मृत घोषित कर दिया , देशराज ने अस्पताल से शव को घर ले जाने के लिए एम्बुलेन्स की माँग की मगर शव को ले जाने के लिए एम्बुलेन्स न होने की बात कह कर डॉक्टरों ने एम्बुलेन्स देने से इनकार कर दिया । जिसके बाद देशराज अपनी पत्नी के शव को एक ठेले पर रख कर लगभग ढाई किलोमीटर दूर तक अपने घर लेकर आया ।
इस सम्बन्ध में देशराज शर्मा ने बताया कि उसकी पत्नी गर्भ से थी और उसका प्रसव कराने वह स्थानीय अस्पताल लेकर गया था । जहाँ उसकी पत्नी को सामान्य प्रसव हुआ और उसने एक बच्चे को जन्म दिया । बच्चा रो नही रहा था इसके लिए उसने डॉक्टरों से बताया और डॉक्टर आते इससे पहले ही उसकी पत्नी की हालत खराब हो गयी और जब डॉक्टरों ने उसे देखा तो मृत घोषित कर दिया । शव को लाने की व्यवस्था उसके पास नही थी तो उसने अस्पताल से एम्बुलेन्स की मांग की मगर डॉक्टरों यह कह कर एम्बुलेन्स देने से इनकार कर दिया कि शव के लिए एम्बुलेन्स उनके पास नही है । मजबूर होकर देशराज ने एक ठेले से अपनी पत्नी के शव को लादकर घर लेकर आया ।
इस सम्बन्ध में बाराबंकी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर बी.के.एस. चौहान ने बताया कि पहली बात तो एम्बुलेन्स जीवित व्यक्ति के लिए होती है मृतक के लिए नही , मृतक के लिए शव वाहन होता है और वह सीएचसी पर नही होता , जिले पर जरूर होता है । लेकिन शव को ठेलिया से ले जाना गलत है इसके लिए डॉक्टरों को किसी शव वाहन या किसी अन्य वाहन की व्यवस्था करनी चाहिए थी । इसके लिए सीएचसी अधीक्षक से पूँछतांछ जरूर की जाएगी ।