सीता रावण की पुत्री थी. यह दावा अद्भुत रामायण के उद्धरणों में मिलती है. अद्भुत रामायण के अनुसार रावण का यह कथन, “जब मैं अज्ञान से अपनी कन्या के ही स्वीकार की इच्छा करूँ तब मेरी मृत्यु हो” इसकी पुष्टि करता है. अद्भुत रामायण में वर्णित है कि दण्डकारण्य में गृत्समद नाम का एक ब्राह्मण था. उसकी इच्छा देवी लक्ष्मी को अपनी पुत्री के रूप में प्राप्त करने की थी. अपनी इस कामना की पूर्ति के लिये वह रोजाना कलश में कुश के अग्रभाग से मंत्रों के उच्चारण के साथ दूध डालता था.
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