भ्रष्टाचारी पार्षद खुद बन जाता है अपने वार्ड की समस्या, देखिये कार्टूनिस्ट सुधाकर का नजरिया

Patrika 2020-10-10

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राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के 6 नवगठित नगर निगमों (जयपुर हैरिटेज, जयपुर ग्रेटर, जोधपुर उत्तर, जोधपुर दक्षिण, कोटा उत्तर और कोटा दक्षिण) के सभी 560 वार्डों में होने वाले चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी। सभी निगमों में सदस्य के पदों के लिए दो चरणों में 29 अक्टूबर व 1 नवंबर को मतदान और 3 नवंबर को मतगणना करवाई जाएगी, जबकि महापौर का चुनाव 10 नवंबर और उप महापौर का चुनाव 11 नवंबर को करवाया जाएगा।
जनता अपने वार्ड के लिए जनप्रतिनिधि इस विश्वास और आशा के साथ चुनती है कि वह उनके वार्ड की समस्याओं समस्याओं का त्वरित समाधान करवा कर उन्हें राहत पहुंचाएगा. वार्डों में आमतौर पर सड़क, बिजली, पानी, सीवरेज और सफाई से जुड़ी ही समस्याएं होती हैं. ये हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं हैं .ऐसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सरकार में जनता के सबसे नजदीक की कड़ी वार्ड पार्षद ही होता है . ऐसे में उससे जनता का सीधा जुड़ाव होता है और उम्मीद भी ज्यादा होती है. मगर यदि पार्षद नाकरा निकल जाए या भ्रष्टाचारी हो तो वह खुद अपने वार्ड की जनता के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है और जनता इंतजार करती है कि कब चुनाव हों और वह इस 'समस्या' से छुटकारा पाएं. देखिए इस मुद्दे पर कार्टूनिस्ट सुधाकर का नजरिया.

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