जहां एक और प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाकर भ्रष्टाचार खत्म कर उस पर लगाम लगाने की बात कर रही है ताकि अधिकारी और कर्मचारी ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते देशवासियों की सेवा करें। लेकिन विभागों में तैनात कई अधिकारी और कर्मचारी इतनी मोटी चमड़ी के हैं कि उन्हें सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति से कोई लेना-देना नहीं है और न ही उन्हें कोई फर्क पड़ता है। वह लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं रिश्वतखोरी कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं। जिससे अपना काम करवाने आए फरियादियों का जमकर शोषण हो रहा है और जो अधिकारी कर्मचारियों को रिश्वत नहीं देते उन्हें कार्यालयों के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं लेकिन उनका काम नहीं होता। ऐसा ही है खुलेआम भ्रष्टाचार करने का मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महरौनी में सामने आया है। जहां अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्र छात्राओं को शारीरिक फिटनेस प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है और जब छात्र छात्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महरौनी में अपना फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाने पहुंचे तो वहां तैनात संबंधित कर्मचारी द्वारा खुलेआम छात्र-छात्राओं से रिश्वत की मांग की गई और जो छात्र छात्राओं ने रिश्वत देने से इंकार कर दिया उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी ही नहीं किया गया। जब छात्र छात्राओं से फिटनेस बनाने के नाम पर रिश्वत ली जा रही थी तभी वहां मौजूद किसी छात्र ने रिश्वत लेन देन का वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। जैसे ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जनपद के आला अधिकारियों में हड़कंप मच गया। अब इस मामले में देखने वाली बात यह होगी कि रिश्वतखोर कर्मचारी खिलाफ विभागीय अधिकारी क्या कार्यवाही अमल में लाते हैं।
यह मामला जब सीएमओ डॉ प्रताप सिंह के संज्ञान में लाया गया तो उन्होंने कहा कि मामला संज्ञान में आया है । हम वायरल वीडियो की जांच कराएंगे और इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।