Mathura News: देवी के 51शक्ति पीठों से एक है माँ कत्यायनी शक्ति पीठ। इसी स्थान पर गिरे थे माँ सती के कैश। भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा से 12 किलोमीटर दूर भगवान कृष्ण की क्रीड़ा भूमि वृन्दावन में स्थित इसी स्थान पर की थी राधा ने गोपियो सहित कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए पूजा।
माँ के 51 शक्ति पीठो में से एक है माँ कत्यायनी शक्ति पीठ। कहा जाता है कि जब सती के पिता ने एक यज्ञ का आयोजन किया था और उसमें समस्त देवताओं को आमंत्रित किया है जब इस की जानकारी सती को हुई कि मेरे पति भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया जा रहा तो वह बिना बुलाए अपने पिता के घर चली गयी और अपने पिता से अपने पति को न बुलाने का कारण पूछा तो सती के पिता ने भगवान शिव के लिए बहुत भला बुरा कहा जिसे सुनकर सती सहन नहीं कर पाई और हवन कुण्ड में कूद गयी। जब इस घटना की जानकारी भगवान के गणों ने भगवान शिव को दी तो वह बहुत व्याकुल हो गए और उन्होने सती की जली हुई देही को कंधे पर लेकर यहाँ-वहाँ घुमने लगे और तांडव शुरू कर दिया शिव के तांडव से प्रलय मच गई। सभी देवता घबरा कर भगवन विष्णु की शरण में गये और विष्णु भगवान ने माँ सती से छमा मांगकर सती के शरीर के 51हस्से कर दिए और जो-जो हिस्सा जहाँ गिरा वह स्थान शक्ति पीठ बन गया और इसी स्थान पर गिरे थे माँ सती के बाल। इस शक्ति पीठ की बहुत मान्यता है कहा जाता है कि कृष्ण को गोपियो ने कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए राधा सहित माँ कत्यायनी की पूजा की थी और राधा जी ने माँ कत्यायनी को ये बचन भी दिया की जो कुबारी कन्या यहाँ आकार आपकी पूजा करेगी उसे उसका मन चाहा वर अवश्य मिलेगा। तब से लेकर आज तक यहाँ भक्त माँ से अपने मनचाहे वर को पति रूप में पाने के लिए यहाँ आकार माँ से मन्नत मागते है। यहाँ भक्त हजारों की संख्या में आकार माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
मंदिर का इतिहास
अनंत काल से भारत वर्ष यथार्थ में पवित्र स्थानों ,तीर्थों ,सिद्धपीठों ,मंदिरों एवं देवालयों से सुसज्जित एवं सुशोभित रहा है। जिस पावन पवित्र भूमि में गंगा ,यमुना ,सरस्वती आदि नदियों एवं राम -कृष्णा आदि आराध्य देवों ने अवतार ग्रहण किया और अधर्म का नाश कर धर्म की रक्षा की ,ऐसे सुंदर पवित्रतम स्थानों को तीर्थ एवं सिद्धपीठ के नाम से पुकारा गया। जिनमे भगवान नन्द नंदन अशरणशरण ,करुणा वरुणालय ,ब्रजेंद्र नंदन श्री कृष्ण चन्द्र की पावन पुण्यमय क्रीड़ा भूमि श्री धाम वृन्दावन में कालिंदी श्री यमुना के निकट राधा बाग में स्थित है अति प्राचीन सिद्ध पीठ जहाँ विराजमान है श्री श्री माँ कात्यायनी। श्री धाम वृन्दावन में भगवती के केश (बाल ) गिरे थे इसका प्रमाण आर्य शास्त्र ,ब्रह्म वैवर्त पुराण एवं आद्या स्त्रोत आदि कई पुराणों में मिलता है। देवऋषि श्री वेद व्यास जी ने श्री मद भगवत के दशम स्कन्ध के बाइसवें अध्याय में उल्लेख किया है।
"कात्यायनी महामाये महयोगिन्यधीस्वरि।
नन्दगोपसुतम् देवी पति मे कुरु ते नमः।