जयपुर। एक बार फिर राज्य के एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल शुरू हो चुकी है। सुबह 6 बजे से
एंबुलेंस कर्मचारियों ने चक्का जाम कर दिया है। सभी 108 एम्बुलेंस और 104 को खड़ा कर दिया है और कर्मचारी खुद सरकार को विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि दोपहर एक बजे से सरकार से वार्ता शुरू हुई है। इससे पहले एम्बुलेंस के लिए जरूरी सुविधाएं मुहैया ना करवाने से कर्मचारी नाराज हैं और मांगे ना मानने तक प्रदेश में एम्बुलेंस व्यवस्था बंद रहेगी। इसका बड़ा असर कोरोना के गंभीर मरीजों पर पड़ सकता है। खासकर गरीब मरीजों पर जो इलाज के लिए अस्पताल तक जाने के लिए इन एम्बुलेंस पर ही निर्भर हैं। वहीं गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाएं इन दिनों वैसे भी गड़बड़ा चुकी हैं, उन पर भी यह हड़ताल असल डालेगी।
चला रहे हैं खटारा एम्बुलेंस
इन एंबुलेंस कर्मचारियों का ठेका दो दिन में समाप्त होने वाला है। एंबुलेंस कर्मचारी चाहते हैं कि नया ठेका नई शर्तों के साथ हो। उन्होंने बताया कि एंबुलेंस वाहनों में समय पर डीजल नहीं डलवाना, मरम्मत कार्य समय पर नहीं करवाना, एंबुलेस वाहनों में कोरोना से सुरक्षा के लिए मास्क ग्लव्स, सेनेटाइजर इत्यादि उपलब्ध नहीं करवाना, एंबुलेंस कर्मचारियों को बिना कारण कंपनी के अधिकारीयों की ओर से परेशान करना, खटारा एंबुलेंस वाहनों को जबदस्ती चलवाना व उनका डीजल एवरेज के लिए परेशान किया जाता है तथा वेतन वृद्धि रोकने से एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं।
दी थी चेतावनी
राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि एम्बुलेंस कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को 11 अक्टूबर से हड़ताल की चेतावनी दे रखी थी, लेकिन परियोजना निदेशक अनिल पालीवाल ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया। वार्ताओं के दौर के चलते प्रस्तावित हड़ताल को स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि अब सभी कर्मचारियों ने एकमत होकर हड़ताल जैसा कदम उठाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि एंबुलेंस कर्मचारी अक्टूबर 2019 से अपनी मांगों को लेकर सघंर्षरत हैं, लेकिन आजतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला, जबकि एंबुलेंस कर्मचारी पूरे कोराना काल में प्रथम सिपाही बनकर प्रदेशवासियों की सेवा कर रहे हैं।
हड़ताल के लिए हुए मजबूर
एंबुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगों को लेकर चिकित्सा विभाग का हर अधिकारी अवगत है। अरसे से एम्बुलेंस को लेकर जो मांग कर रहे हैं, वो चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के साथ ही सरकार तक पहुंचाई जा चुकी है। अधिकारियों और मंत्री स्तर पर कई बार वार्ता की लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन दिया जाता है और मांगों का समाधान नहीं होता है। इस बात से प्रदेश के सभी एंबुलेंस कर्मचारी नाराज हैं और अब निश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं।