जोधपुर. जिले के खींचन में प्रवासी पक्षी कुरजां के लिए भले ही देश का पहला कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व बनाने के लिए पूरा प्रशासन इन दिनों जुटा है लेकिन करीब एक दशक पूर्व जिले के काले हरिणों और चिंकारों को संरक्षित करने के लिए गुड़ा विश्नोइयान में 1432 बीघा भूमि को कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने बावजूद वनविभाग को भूमि आज तक सुपुर्द नहीं हो सकी है। नतीजन काले हरिणों और राज्यपशु चिंकारा सहित अन्य लुप्त हो रहे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण जमीन मामले पर जेडीए अधिकारियों ने हठधर्मिता अपनाते हुए जमीन पर कुंडली जमा ली है। जेडीए की ओर से संवेदनशीलता से मामले का अनुशीलन नहीं किया जाता है तो गुड़ा क्षेत्र में काले हरिणों व चिंकारों का अस्तित्व भी काला नजर आता है।
क्या है मामला
जोधपुर जिले के गुड़ा विश्नोइयान क्षेत्र के काले हरिणों और चिंकारों के संरक्षण और प्राणी शास्त्रीय महत्व को देखते हुए तत्कालीन राज्य सरकार ने 15 दिसम्बर 2011 को गुड़ा कंजर्वेशन रिजर्व की घोषणा की थी। जिले के गुड़ा ग्राम पंचायत के खसरा संख्या 710 व 753 की भूमि के लिए बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई। गुड़ा कंजर्वेशन रिजर्व राजस्थान राजपत्र में भी उल्लेखित है । कुल 231.87 हैक्टेयर भूमि कलक्टर जोधपुर की ओर से सेट अपार्ट की गई एवं जोधपुर विकास प्राधिकरण को हस्तान्तरित कर दी गई है । कागजों में जमीन का मालिकाना हक जोधपुर विकास प्राधिकरण के अधीन होने से जेडीए अब वन विभाग से आरक्षित दर पर जमीन आवंटन के लिए राशि की मांग पर अड़ा है।
मामला राशि पर अटका है
हमने जेडीए अधिकारियों को कई बार लिखित में जमीन हस्तांतकरण के लिए कहा लेकिन जेडीए आरक्षित दर पर जमीन आवंटन की राशि की मांग पर अड़ा है। हमनें अपने विभाग के शीर्ष अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत करा दिया है।
-केके व्यास, सहायक वन संरक्षक वन्यजीव जोधपुर