िक्षा के मंदिर पर लगे ताले
बंद की ऑन लाइन क्लासेज
सरकार से आर्थिक राहत दिए जाने की मांग
फीस को लेकर निजी स्कूलों और अभिभावकों के बीच चल रही रार लगातार जारी है और इसी के तहत आज प्रदेश के निजी स्कूलों ने अनिश्चितकालीन बंद की शुरुआत कर दी और सड़क पर उतर आए।फोरम ऑफ प्राइवेट स्कूल ऑफ राजस्थान का दावा है कि प्रदेश के करीब ५० हजार से अधिक निजी स्कूल इस बंद को अपना समर्थन दे रहे हैं। फीस का भुगतान किए जाने सहित सरकार से आर्थिक पैकेज की मांग का लेकर इन स्कूलों ने ऑनलाइन क्लास भी बंद कर दी और स्कूलों के गेट पर ताले लटका दिए। अपने आंदोलन की शुरुआत के पहले दिन निज़ी स्कूल संचालकों ने कलेक्ट्रेट सर्किल पर सांकेतिक धरना दिया और मानव श्रृंखला बनाकर अपना विरोध जताया। साथ ही मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। फोरम के संदीप बक्शी ने कहा कि पिछले 7 महीनों से निज़ी स्कूलों को फीस का भुगतान नहीं हुआ है, जिसके चलते निज़ी स्कूलों के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के करीब 50 हजार निज़ी स्कूलों के करीब 11 लाख स्टाफ को वेतन का भुगतान नहीं हो पाया है, जिसके चलते स्टाफ की नौकरी जाने तक का संकट खड़ा हुआ है। उनका कहना था कि फीस के अभाव में वह स्कूलों का संचालन नहीं कर सकते। उनका कहना है कि पिछले ७ माह से सरकार ने फीस लेने पर रोक लगा रखी है। इसके बाद भी वह ऑनलाइन क्लास संचालित कर रहे थे, जिससे स्टूडेंट्स की पढ़ाई का नुकसान नहीं हो लेकिन अब स्कूलों की स्थिति इस हाल में पहुंच गई है कि वह शिक्षकों को वेतन तक नहीं दे सकते। एेसे में उनक ेपास स्कूल बंद करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।
स्कूलों के विरूद्ध है सरकार
स्कूल संचालकों का कहना था कि फीस मामले को लेकर सरकार की नीति स्कूलों के विरूद्ध है। शिक्षा बचाओ संघर्ष समिति की हेमलता शर्मा ने कहा कि सरकार के शिथिल रवैए के कारण प्राइवेट स्कूल संचालक सड़क पर आ गए हैं। अब वेतन के अभाव में शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है जिसके लिए सरकार जिम्मेदार है।
फोरम के संदीप बक्शी ने कहा कि स्कूलों की आर्थिक स्थिति के चलते हमारे पास इन्हें बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस मसले को जल्द नहीं सुलझाया गया तो यह राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन सकता है।