किसान को छोड़कर देश का हर तबका अपने द्वारा तैयार किए गए उत्पाद का दाम खुद तय करता है । किसान अपने उत्पादो का दाम खुद तय नहीं कर पाता है जबकि सरकारी व निजी कम्पनिया खुद अपने सामानो का दर तय करते हैं । किसान की दुश्वारी यहीं नहीं खत्म होती, अपने उत्पाद को बेचने की तय कीमत भी उसे नहीं मिलती। कई बार वह अपने उत्पाद को औने-पौने दामों में बेचने को विवश होता है । अपर्याप्त सरकारी खरीद, दलालों का दलदल और भंडारण की किल्लत से उसकी फसलों की लागत भी नहीं निकल पाती है। किसानों की इन समस्याओं को दूर करने के लिए लंबे अरसे से मांग की जा रही है । आज बाँदा में अखिल भारतीय किसान समन्वय संघर्ष समिति ने एक गोष्ठी का आयोजन कर अपनी फसल व दुग्ध का मूल्य निर्धारण करने का संकल्प लिया है ।
आज बाँदा जनपद के बबेरू क्षेत्र के बड़ागाँव में ठाकुर बाबा के स्थान पर क्षेत्रीय किसानों ने अखिल भारतीय किसान समन्वय संघर्ष समिति बबेरू बाँदा के तत्वावधान में गोष्ठी कर अपनी फसल व दुग्ध का मूल्य निर्धारण करने का संकल्प लिया । बता दें कि ठाकुर बाबा जी के स्थान पर जी पी सिंह पटेल (पूर्व जिला पंचायत सदस्य ) की अध्यक्षता में किसानों की समस्याओं को लेकर चर्चा की गई, गोष्ठी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी न होना, खरीद पर टोकन सिस्टम समाप्त कर देना, अन्ना प्रथा, बिजली के स्मार्ट मीटर जो अधिक रीडिंग दे रहे हैं यह मुख्य समस्या की चर्चा का विषय रहा । किसानों ने अपने उत्पादन का सही मूल्य प्राप्त करने हेतु तय किया आने वाले एक दिसम्बर से 50 रुपये प्रति लीटर दूध बेचेंगे, वही किसानों ने बताया कि इस समस्या से समाधान होने पर हमारे किसान न केवल अपनी उपज का लाभकारी मूल्य हासिल करने में समर्थ होंगे बल्कि उन्नत खेती की ओर भी अग्रसर हो सकेंगे । एक ऐसे समय में जब खेती देश की अर्थव्यवस्था की बड़ी संबल बनती दिख रही है तो यह बहुप्रतीक्षित कदम किसानों की तकदीर संवारने में निर्णायक साबित हो सकते हैं । किसान सक्षम होंगे तो ग्रामीण क्रयशक्ति बढ़ेगी जो देश के उद्योगों की मांग-आपूर्ति में उत्प्रेरक का काम करेगी ।