यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता अंबर जैदी ने कहा, शादी की उम्र के लिए दूसरे धर्मों के महिलाओं की 18 साल होनी चाहिए जबकि पर्सनल लॉ में लड़कियों की कोई उम्र नहीं है शादी की. इस्लाम में बहुविवाह की बात करें तो आपको बता दें कि शरिया कानून सिर्फ महिलाओं और बच्चों को दबाने का कानून है. इस्लाम धर्म महिलाओं के लिए ही शरिया कानून का हवाला देता है. बाकी क्राइम के लिए वो सिविल कोर्ट का रुख करते हैं. ब्रिटिश काल के कानून जब देश में आज भी फॉलो करते हैं तो हम क्यों लकीर के फकीर बने हुए हैं.#UniformCivilCode #DeshKiBahas