आटे और मैदे में फाइबर, विटामिंस और न्यूट्रिएंट्स बहुत भरपूर मात्रा में होते हैं, जो हमारे सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं, लेकिन मिलावटी आटे के इस्तेमाल से हमें ये फायदे नहीं मिल पाते और यह हमारे सेहत को जो नुकसान होता है वह अलग। मिलावटखोर गेहूं के आटे में अक्सर चाक पाउडर, बोरिक पाउडर, खड़िया मिट्टी और मैदा मिलाते हैं। गेहूं के आटे को ज्यादा सफेद बनाने के लिए उसमें घटिया चावल का चूरा भी मिलाया जाता है। आज हम आपको कुछ ऐसे आसान टिप्स बताने जा रहे हैं जिन्हें आजमाकर आप खुद परख सकते हैं कि आटा शुद्ध है या मिलावटी। शुद्ध आटे की पहचान उसको गूंधते और उसकी रोटी बनाते समय भी की जा सकती है। जब आप शुद्ध आटे को गूंधते हो तो वो बहुत नर्म होता है और उससे बनी रोटियां भी अच्छी तरह से फूलती है। मिलावटी आटे को गूंधने में असली आटे के बनिस्पत कम पानी की जरूरत होती है। मिलावटी आटे की रोटियां बेशक ज्यादा सफेद होती हैं, मगर उन में नेचुरल स्वीटनेस नहीं होती। आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है और बेलने पर रोटी नहीं फैलती, च्यूइंगम की तरह खिंचती हैं। आटे में मिलावट को आप घर पर ही साइंटिफिक तरीके से भी चेक कर सकते हैं। हाइड्रोक्लोरिक एसिड आपको मेडिकल स्टोर में मिल जाएगा। आटे की मिलावट जांचने के लिए आप एक टेस्ट-ट्यूब लीजिए और उसमें थोड़ा-सा आटा डालें। फिर इसमें थोड़ा-सा हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालें। हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने पर अगर ट्यूब में कुछ छानने वाली चीज नजर आए तो समझ लें कि आटे में मिलावट की गई है।
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