रीतिकाल के महान कवि बिहारी लाल की पांँच प्रसिद्ध दोहों की शब्दार्थ सहित सप्रसंग व्याख्या ।

Subodh Kumar Panday 2021-01-18

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इस वीडियो के माध्यम से मैंने रीतिकाल के महान कवि बिहारी लाल द्वारा रचित पाँच प्रमुख दोहों का वाचन के साथ-साथ शब्दार्थ सहित सप्रसंग व्याख्या भावार्थ या आशय को बतलाने का प्रयास किया है ।

दोहे -

1. सोहत ओढ़ै पीतु पटु स्याम, सलौनैं गात ।
मनौ नीलमनि-सैल पर आतपु परयौ प्रभात।।

2. कहलाने एकत बसत अहि, मयूर, मृग, बाघ ।
जगतु तपोबन सौ कियो दीरघ-दाध निदाघ ।।

3. बतरस-लालच लाल की मुरली धरी लुकाइ।
सौह करें भौंहनु हँसे ,दैन कहैं नटि जाइ।।

4. कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत,लजियात।
भरे भौन मैं करत हैं नैननु ही सब बात ।।

5. बैठि रही अति सघन बन, पैठि सदन-तन माँह।
देखि दुपहरी जेठ की छाँहौं चाहति छाँह।।

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