अयोध्या जिले में रामनगरी के संत परमहंस ने दिल्ली में ट्रैक्टर के बेकाबू होने से केंद्र सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों को दंडित करने की किया मांग पत्रकारों के कैमरे टूटे । सिर फूटे । दिल्ली की सड़कों पर नंग नाच हुआ । एक ट्रेक्टर ने पुलिस वाले को रौंदा । बैरिकेडिंग टूट गए । आंदोलन हिंसक हो गया । किसानों के नाम पर राजनीति चमकी । लाल झंडे लहराए । हँसिया और हथौड़े वाले झंडे । इनका मक़सद समाधान नहीं अराजकता है । हिंसा इनका हथियार है । लहू जब बहता है , तब इनकी विचारधारा पलती है । यह रक्त पर राजनीति करते हैं । यह किसानों के रहनुमा नहीं हैं । यह सिर्फ़ अराजक है । अलोकतांत्रिक है । यह नक्सलवाद का अपग्रेड संस्करण है । सिस्टम को ध्वस्त करना ही मक़सद है । आज अन्नदाता शर्मिन्दा है । यह उत्पात उनके नाम पर हुआ है । जो लोग दो महीने से सड़कों पर हैं उनमें किसान हैं भी या नहीं ? किसानों के नाम पर रोटियाँ सेंक रहे हैं । मक़सद किसान नहीं है । किसान तो खेत में है। घर पर है । जहां धरना है वहाँ की व्यवस्था फ़ाइव स्टार है । मसाज की मशीनें लगी हैं । ख़ैर किसानों के नाम पर राजनीतिक दल निकल पड़े ।