शाजापुर। विजय नगर स्थित श्री विजय हनुमान मंदिर में महिला समिति द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भावगत कथा के तीसरे दिन भगवताचार्य पं. विवेक कृष्ण शास्त्री उज्जैन ने कहा कि भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का त्रिवेणी संगम है भागवत। पं. शास्त्री ने कहा कि भागवत भागीरथी है, जिसमें देवता स्नान को तरसते हैं, लेकिन उन्हें नहीं मिलती। देवराज इंद्र को अमृत कलश के मूल्य पर भी नहीं मिली। यह भगवत कृपा से मिलती है। हम भाग्यशाली हैं कि हमें यह मिल रही है। भगवत भक्ति में उम्र का कोई बंधन नहीं है। ध्रुव ने 5 वर्ष की उम्र में ही भगवान को पा लिया था। यह उसे सुसंस्कार एवं शुद्ध भाव से हुआ। सरलता भगवान को प्रिय है। भगवत व्यक्ति व जीवन को सच्चा मानव व सरल बनाती है। पं. शास्त्री ने कहा कि शिवजी अवगुण और बुराईयों का विष स्वयं पीते हैं और अच्छाई, भलाई व गुणों का अमृत संस्कार को पिलाते हैं। इसलिए भोलेनाथ भोले भंडारी होकर कालों के काल और महाकाल हो जाते हैं। यही भागवत कथा है। आज पूजन व प्रसाद का पुण्य लाभ संजय सक्सेना, अजय सक्सेना द्वारा लिया गया।