कहते हैं साल में एक बार होलिका दहन होता है, लेकिन महाकाल स्वरूप भोलेनाथ की होली रोज होती है। फाल्गुन शुक्ल द्वादशी को भगवान भोलेनाथ अपने औघड़ रूप में काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच चिता की भस्म की होली खेलते हैं। जानें मसाने की होली के बारे में.