विधानसभा चुनाव 2022: सिकंदराबाद सीट का सियासी हाल II क्या दूसरे पायदान से ऊपर आएगी सपा ?

Media Halchal News 2021-04-26

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बुलंदशहर की सिकंद्राबाद विधानसभा का सियासी हाल
देखिए क्या है आवाम की सोच और सियासी मौसम ?
कौन बनेगा इस सीट पर सियासत का सिकंदर ?
किसके खाते में जाएगी सिकंद्राबाद विधानसभा सीट ?
क्या दूसरे पायदान से ऊपर उठ पाएगी समाजवादी पार्टी ?
क्या 2022 में बीजेपी लगाएगी सिकंद्राबाद में हैट्रिक ?
बीएसपी, कांग्रेस, RLD के बारे में क्या सोचते हैं लोग ?

बुलंदशहर जिले की सिकंद्राबाद विधानसभा सीट की अगर बात करें तो पिछले दो चुनावों में यहां बीजेपी का यहां बर्चश्व दिखाई देता है…और अन्य पार्टियां यहां कमजोर पड़ती सी दिखती है…गजब की बात ये हैं कि बीजेपी से पहले यहां बीएसपी की बादशाहत होती थी…ऐसे में 2022 के सियासी समीकरण क्या इशारा करते हैं वो जानने की कोशिश करेंगे लेकिन पहले सियासी इतिहास के बारे में जान लेते हैं…

2002 से लेकर 2017 चुनावों तक दो ही दल हावी दिखे हैं
सिकंद्राबाद सीट पर बीजेपी और बीएसपी की झंडाबरदारी दिखती है
यहां दो बार बीएसपी ने जीत दर्ज की है तो दो बार बीजेपी जीती है
2002 और 2007 में लगातार बीएसपी ने यहां से जीत दर्ज की है
2012 में सपा की लहर के बाद भी बीजेपी ने जीत का परचम लहराया
2012 में बीजेपी के टिकट पर सिकंद्राबाद से विमला सिंह सोलंकी विधायक बनी
2017 में लगातार दूसरी बार फिर विमला सिंह सोलंकी ने जीत दर्ज की
सपा की बात करें तो 2002 में सपा दूसरे नंबर पर रही थी
2007 में भी सपा ने कड़ी टक्कर दी और दूसरे नंबर पर रही
2012 में सपा तीसरे और बीएसपी दूसरे नंबर पर रही
और 2017 में भी बीएसपी दूसरे सपा तीसरे नंबर पर रही

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों की बात हो और RLD चर्चा में न आए ये हो नहीं सकता…RLD यहां 2002 में बीजेपी की मौजूदा विधायक विमला सोलंकी के नेतृत्व में तीसरे नंबर पर जरूर दिखी थी…उसके बाद वो ऊपर नीचे के पायदान पर खिसकती रही और कांग्रेस उसकी जगह लेती रही…मौजूदा वक्त की अगर बात करें तो स्थितिया भिन्न नहीं दिखती है…ऐसे में आइए जानते हैं कि मुद्दे क्या है और मौजूदा समीकरण क्या इशारा करते हैं…

मौजूदा वक्त में दो बार की विजेता बीएसपी कमजोर हैं
हालांकि 2017 में बीएसपी ने टक्कर जरूर दी लेकिन अब कमजोरी का शिकार है
बीजेपी की स्थिति फिलहाल सिकंद्राबाद में मजबूत दिखाई दे रही है
बीजेपी 2022 में हैट्रिक लगाने की पूरी कोशिश में दिख रही है
लेकिन बीजेपी के खिलाफ अब एंटी इनकबेंसी का दौर दिख रहा है
बीजेपी के ही कई और नेता चुनाव लड़ने की जुगत में दिख रहे हैं
ऐसे में मौजूदा विधायक थोड़ी असहज भी दिखाई दे रही हैं
ऊपर से किसानों के मुद्दे पर सक्रिय RLD ने स्थितियां बदली हैं
हालांकि RLD अकेले दम पर चुनाव नहीं जीत सकती
और सपा को भी अकेले दम पर जीतने के लिए मेहनत करनी होगी
ऐसे में RLD+ सपा साथ में मिलकर कुछ करिश्मा कर सकते हैं
लेकिन दोनों दलों को पहले बीजेपी से बेहतर रणनीति बनानी होगी
बीएसपी और कांग्रेस का कोई खास जनाधार दिखता नहीं है

ऐसे में सिकंद्राबाद सीट का सियासी गणित गठजोड़ की राजनीति पर टिका दिखता है…पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर सपा की कमजोर स्थिति अकेले जीत को मुश्किल दिखा रही है RLD का भी हाल वैसा ही है लेकिन दोनों दल मिलकर चुनौती दे सकते हैं…इसके अलावा बात की जाए बीजेपी की तो बीजेपी की स्थिति बदली जरूर है लेकिन कमजोर नहीं हुई है…अब देखना ये हैं कि लंबे अरसे से जीत का खाब देख रहे गठजोड़ वाले 2022 में जीतेंगे या फिर बीजेपी का हैट्रिक लगाने का सपना पूरा होगा…ब्यूरो रिपोर्ट

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