ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया पीड़ितों को कोरोना वायरस के नतीजे में कोविड-19 से प्रभावित होने का बहुत खतरा होता है. ये खुलासा कैसर परमानेन्ट साउदर्न कैलिफोर्निया की रिसर्च में हुआ है. गौरतलब है कि स्लीप एपनिया की दिक्कत में पीड़ित व्यक्ति की सांस सोते समय कुछ देर के लिए रुक जाती है. इस दौरान उसके शरीर को पूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. सांस टूटने से आंख खुल जाती है और उठते ही तेजी से हंफनी शुरू होती है. रिसर्च से स्लीप एपनिया का इलाज न कराने और कोरोना संक्रमण की ज्यादा दर में संबंध उजागर हुआ. शोधकर्ताओं ने रिसर्च के दौरान मोटापा, पुरानी बीमारियां और दवा लेने वालों में भी कोविड-19 संक्रमण की अधिक दर का पता लगाया. अश्वेत और हिस्पैनिक मरीजों में भी कोविड-19 संक्रमण की ऊंची दर का खुलासा हुआ. हालांकि, आम तौर से बुजुर्गों को कोरोना वायरस के संक्रमण का ज्यादा खतरा होता है, लेकिन रिसर्च में उम्र की वृद्धि के साथ कम संक्रमण दर का संबंध मिला.
Obstructive sleep apnea sufferers are at great risk of being affected by Covid-19 as a result of the corona virus. This was revealed in the research of Kaiser Permanente Southern California. It is worth noting that in the problem of sleep apnea, the victim's breath stops for some time while sleeping. During this time, his body does not get full oxygen. When the breath is broken, the eye opens and as soon as it arises, the hafni starts rapidly. Research has revealed a relationship between non-treatment of sleep apnea and a high rate of corona infection. During the research, researchers also found a higher rate of Kovid-19 infection among obesity, chronic diseases and those taking medicines. High rates of Kovid-19 infection were also revealed in black and Hispanic patients. Although the elderly are generally at greater risk of corona virus infection, research has found a lower infection rate associated with increased age.
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