जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर रोचक मुकाबला !
बीजेपी और सपा के बीच होने वाली है निर्णायक जंग !
निर्दलीय निभाएंगे इस बार किंगमेकर की भूमिका !
जिसके पाले में होंगे निर्दलीय वही बनेगा बाजीगर !
16 साल से अब तक नहीं बना है जनरल कैटेगरी का अध्यक्ष !
इस बार भी जंग में मुकाबला आरक्षित Vs अनारक्षित होगा !
कौन सी कैटेगरी के उम्मीदवार को मिलेगी कुर्सी बड़ा सवाल ?
पंचायत चुनावों के नतीजे सामने आने के बाद अब सोनभद्र में स्थितियां एक दम करो या मरो वाली दिख रही हैं… जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी की जंग में सपा और बीजेपी आमने सामने हैं लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार किंगमेकर की भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं…ऐसे में सवाल इस बात का है कि किस पार्टी का उम्मीदवार जिला पंचायत का अध्यक्ष बनेगा साथ ही सवाल इस बात का भी है कि 16 साल से जारी अनारक्षित वर्ग का वनबास क्या अब खत्म होगा क्योंकि सोनभद्र में जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर 16 साल से अनारक्षित वर्ग का नेता नहीं बैठा है…जोड़ तोड़ और गठजोड़ की राजनीति लगातार तेज हो रही है और लगातार सवाल उठ रहा है कि आखिर किस दल का नेता कुर्सी संभालेगा…इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अनारक्षित है, इससे उम्मीद की जा रही है कि शायद कोई अनारक्षित वर्ग का सदस्य इस बार इसपर बैठ जाए, लेकिन राजनीतिक समीकरण को देखकर ऐसा नहीं लगता…जिले में जिला पंचायत सदस्य पद की 31 सीटें हैं…जिसमें 6 सीट अनारक्षित वर्ग की हैं तो वहीं 25 सदस्य आरक्षित वर्ग के हैं…प्रमुख राजनीतिक दलों में भी इसको लेकर अंदरखाने में विवाद गहरा रहा है…जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर अंतिम बार अनारक्षित वर्ग से साल 2000 से 2005 तक देवेंद्र शास्त्री रहें हैं…इसके बाद साल 2010 से 2015 तक भी अनारक्षित सीट पर आरक्षित वर्ग के ही अध्यक्ष रहें हैं…इस बार जिला पंचायत सदस्य पद पर सबसे अधिक निर्दलीय सदस्यों ने बाजी मारी है…अबकी बार सबसे बड़े दल के रूप में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने जीत हासिल की है…ये भी सब जानते हैं कि जिला पंचायत सदस्य पद के समर्थित प्रत्याशी पार्टी के सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ते…इसलिए उनके दल-बदल का नियम लागू नहीं होता…जिसका फायदा प्रदेश में सत्ताशीन राजनीतिक पार्टी हमेशा उठाती रही है…इस बार भी सत्ता में बैठी बीजेपी के जिला स्तरीय पदाधिकारी ऐसी ही मंशा संजोये बैठे हुए हैं…वहीं दूसरी ओर सपा के लोग अपने गठबंधन को मजबूत करने में लगे हुए हैं…जहां सबसे ज्यादा सदस्य पद जीतने वाली सपा के अंदर दो सदस्य ऐसे हैं जो अध्यक्ष पद के लिए सबसे प्रमुख चेहरे हैं…पहला पूर्व अध्यक्ष जो आरक्षित वर्ग से आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बभनी से अनारक्षित वर्ग से जीत दर्ज करने वाले अनारक्षित वर्ग के एक चर्चित चेहरा हैं…पार्टी के अंदर इस असमंजस में समन्वय बैठाना भी पार्टी के आला पदाधिकारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होने वाला है…वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष के पास अध्यक्ष पद के लिए सीमित चेहरे हैं…जिसको लेकर जमकर अंदरूनी घमासान मचा हुआ है…ऐसे में सवाल इस बात का है कि आखिर कौन से दल का उम्मीदवार और किस वर्ग का नेता जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी संभालेगा…फिलहाल तो खींचतान और जोड़तोड़ की राजनीति चरम पर दिख रही है…अब देखना ये हैं कि कौन यहां सियासत में सिरमौर बनता है और इस बार मौका किस वर्ग को मिलता है…ब्यूरो रिपोर्ट