Hartalika Teej 2021: हरतालिका तीज 2021 पर भगवान शिव माता पार्वती की पूजा कैसे करें | Boldsky

Boldsky 2021-09-08

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The Tritiya Tithi of Shukla Paksha of Bhadrapada is popular among Shiva-Parvati devotees by the name of Haritalika Teej. This festival is a symbol of the unbroken union of Shiva-Parvati. What is the bond between husband and wife in society? Is there any such thread between them, which leads us to a peaceful and happy family? Second question... Family belongs to other gods too, but why Shiva family became the ideal in Sanatan culture? Many episodes of the meeting of Lord Shankar and Parvati are ideal for us. In many texts from Shiva Purana to Shri Ramcharitmanas, Shiva and Parvati have been given the name of reverence and faith. Shraddha is Parvati ji and Vishwas is the real Lord Shankar. When there is reverence and trust for each other, it will be the ideal family. Where there is a lack of any one of these, the family will be engulfed in distress and tribulation. Two women appear in the Shiva context. One is Sati and the other is Parvati. We embrace the woman as Parvati. Why? We have considered Parvati ji as the presiding deity of Akshat Suhag, because there is surrender. Sati has her own insistence in the affair, but every woman is fortunate in the form of Parvati. The incident of Hartalika Teej is also related to this. This fast is mainly for the unmarried, which is done prominently in Purvanchal and Bihar etc. In Paschimchal , this fast comes in the form of Teejotsav in Sawan . Hartalika Teej takes place on Tritiya of Shukla Paksha of Bhadon (Bhadrapada) month. The story of both is the same, but the meaning is wider.

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि हरितालिका तीज के नाम से शिव-पार्वती भक्तों में लोकप्रिय है। यह पर्व शिव-पार्वती के अखंड जुड़ाव का प्रतीक है। समाज में पति और पत्नी के बीच जो जुड़ाव है, वह क्या है? क्या इनके मध्य कोई ऐसी डोर भी है, जो हमको एक शांत और मंगलकारी परिवार की ओर ले जाती है? दूसरा प्रश्न... परिवार तो अन्य देवों के भी हैं, लेकिन सनातन संस्कृति में शिव परिवार ही क्यों आदर्श बना? भगवान शंकर और पार्वती के मिलन के कई प्रसंग हमारे लिए आदर्श हैं। शिव पुराण से लेकर श्रीरामचरितमानस तक अनेक ग्रंथों में शिव और पार्वती को श्रद्धा और विश्वास की संज्ञा दी गई है। श्रद्धा पार्वती जी हैं और विश्वास साक्षात भगवान शंकर हैं। जब एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा और विश्वास होगा, तो वह आदर्श परिवार होगा। जहां इनमें से किसी एक की भी कमी होगी, परिवार संकट और क्लेश में घिर जाएगा। शिव प्रसंग में दो स्त्री आती हैं। एक सती और दूसरी पार्वती। हम पार्वती के रूप में स्त्री को अंगीकार करते हैं। क्यों? पार्वती जी को ही हमने अक्षत सुहाग की अधिष्ठात्री माना है, क्योंकि वहां समर्पण है। सती प्रसंग में अपनी जिद है, लेकिन पार्वती के रूप में हर स्त्री सौभाग्यवती है। हरतालिका तीज का प्रसंग भी इसी से जुड़ा है। अविवाहिताओं के लिए मुख्य रूप से यह व्रत है, जो पूर्वांचल और बिहार आदि में प्रमुखता से किया जाता है। पश्चिमांचल में यही व्रत सावन में तीजोत्सव के रूप में आता है। हरतालिका तीज भादों (भाद्रपद) मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को होती है। दोनों की कथा एक ही है, लेकिन मर्म व्यापक है।

#HartalikaTeej2021

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