हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम देव के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण किया जाता है। ऐसा करने से न सिर्फ गणपति महाराज का आशीर्वाद मिलता है बल्कि उस कार्य में सफलता भी मिलती है। भाद्रपद महीने की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणपति का जन्म हुआ था। गणेश भगवान के जन्म का यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर भक्त अपने घरों में भगवान गणपति को बड़ी ही धूमधाम से लेकर आते है और उनकी स्थापना करते हैं। गणेश आगमन व स्थापना के समय में अक्षत का इस्तेमाल बहुत जरूरी माना गया है। जानते हैं गणेश पूजा में अक्षत का क्या महत्व है।
Lord Ganesha is worshiped as the first god in Hinduism. He is remembered before any auspicious work. By doing this one not only gets the blessings of Ganpati Maharaj but also gets success in that work. The festival of Ganesh Chaturthi is celebrated on the Chaturthi Tithi of Bhadrapada month. It is believed that Lord Ganapati was born on this day. This celebration of the birth of Lord Ganesha lasts for ten days. On the occasion of Ganesh Chaturthi, devotees bring Lord Ganapati to their homes with great pomp and establish him. The use of Akshat is considered very important at the time of Ganesha's arrival and establishment. Know what is the importance of Akshat in Ganesh Puja.
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