Shradh Paksha is the day to express reverence to the ancestors. During the sixteen days of Shradh Paksha, human beings make donations like tarpan, pind daan, food donation, clothes donation etc. for the satisfaction of their deceased ancestors. So that the father is pleased and bestows good blessings. But most of the people do not know what to do and what not to do during Shradh Paksha. Unknowingly they do such things which are prohibited during this time. There are some works which must be done in the name of ancestors. Let us know what should and should not be done during Shradh Paksha.
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से सोलह दिवसीय श्राद्ध प्रारंभ होते हैं, लिहाजा 20 सितंबर से श्राद्ध की शुरुआत हो जाएगी और आश्विन महीने की अमावस्या को यानि 6 अक्टूबर, दिन बुधवार को समाप्त होंगे। श्राद्ध को महालय या पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश के मुताबिक, श्राद्ध शब्द श्रद्धा से बना है, जिसका मतलब है पितरों के प्रति श्रद्धा भाव। पद्त हमारे भीतर प्रवाहित रक्त में हमारे पितरों के अंश हैं, जिसके कारण हम उनके ऋणी होते हैं और यही ऋण उतारने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। इस वीडियो मे आपको बताएंगे कि पितृ पक्ष मे मृत्यु होना शुभ होता है या अशुभ.
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