धृतराष्ट्र संजय संवाद के साथ ही इस हफ्ते संघ प्रमुख #MohanBhagwat का सकारात्मकता पर प्रवचन. संघ प्रमुख के कार्यक्रम का नाम था पॉजिटिविटी अनलिमिटेड. लिहाजा बाल्टी भर-भर कर यहां से सकारात्मकता फैलाई गई. संघ प्रमुख का सारा जोर सकारात्मकता फैलाने पर था. लेकिन उनके स्वयंसेवकों ने खुला विद्रोह कर दिया.
एक हमारे मित्र हैं दो शब्द वाले #AmishDevgan. काफी दिनों बाद छोटे परदे पर वापसी की सो इन्होंने सकारात्मकता की पूरी थीसिस ही खोल कर रख दी. सकारात्मकता तो ठीक है लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर सकारात्मक होने की बात को चालाकी से पत्रकारिता में सकारात्मकता की बेवजह बहस शुरू कर देना ठीक नहीं. इससे यह बात झुठलाई नहीं जा सकती कि प्राइम टाइम बहसों का विषय कोई अदृश्य शक्ति तय करती है.
एकेश्वरवाद में यकीन रखने वाली धर्मालु जनता को उस दर्शन में गहरी श्रद्धा होती है कि दुनिया में भले ही भांति-भांति के धर्म है लेकिन सबको पहुंचना एक ही जगह है, ईश्वर एक ही है बस उस तक पहुंचने के रास्ते अलग अलग हैं. हिंदू-मुसलमान मामलों के विशेषज्ञ #DeepakChaurasia भी उस दर्शन में गहरी आस्था रखते हैं. मसलन बहस वो चांद्रयान मिशन की भी करें लेकिन गिरना उनको अंतत: हिंदू मुसलमान के कीचड़ में ही होता है. हर दिन वो इस कीचड़ में गिरने का एक नया रास्ता ढूंढते हैं. गिरते हैं, निकलते हैं फिर गिर पड़ते हैं. बिल्कुल विक्रम बेताल की तर्ज पर.
इस हफ्ते की रिपोर्ट: https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/news/uttar-pradesh-ganga-ghat-coronavirus-situation-report-update-worst-condition-in-kanpur-unnao-ghazipur-and-ballia-128491371.html
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