Sone ki Lanka is passing through its worst phase today. The economic crisis has hit it in such a way that this country is groaning. People are crying. Trying hard to meet small needs. Anger is in the venom of Sri Lankans. There is anger in their hearts, anti-government slogans are on their lips, banners and posters are in their hands, on which they are making the government feel its failure by pouring out their anger. What else can they do in this helplessness?
सोने की लंका आज अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है। इस पर आर्थिक संकट की मार ऐसी पड़ी है, कि ये देश कराह उठा है। लोग बिलख रहे हैं। छोटी-छोटी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये जद्दो-जेहद कर रहे हैं। श्रीलंका-वासियों के ज़हर में नाराज़गी है। दिलों में उफनता गुस्सा है, लबों पर सरकार विरोधी नारे हैं, हाथों में बैनर-पोस्टर हैं, जिस पर अपनी नाराज़गी उड़ेल कर वो सरकार को उसकी नाकामी का अहसास करवा रहे हैं। इस बेबसी में ये और कर भी क्या सकते हैं।
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