पति की दीर्घायु के लिए महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री व्रत रखा। इसी दिन सोमवती अमावस्या और शनि जयंती भी मनाई गई। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं।
वाराणसी से प्रकाशित हृषीकेश पंचांग के अनुसार, इस दिन कृतिका नक्षत्र सुबह छह बजकर 41 मिनट तक, इसके पश्चात रोहिणी नक्षत्र, सुधर्मा योग रात को 10 बजकर 53 मिनट और औदायिक योग स्थिर है। सोमवार के दिन अमावस्या होने से यह स्नान, दान और श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत प्रशस्त दिन के रुप में मान्य रहेगा। मान्यता के अनुसार इसी दिन शनि का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन शनि देवता को प्रसन्न करने के लिए शनि से संबंधित पदार्थों का दान और शनि देवता की विशिष्ट अर्चन किया जाता है।