भारत के राष्ट्रपति का संविधान में जो स्थान है उसका सबसे पहला कर्तव्य है कि वो संविधान की रक्षा करे. उन्होंने कहा संविधान लिखने वालों ने एक बड़ी गलती की थी. इसके मुताबिक कार्यपालिया यानि कि प्रधानमंत्री और उनका कैबिनेट कोई ऐसा काम नहीं करे जो संविधान सम्मत ना हो. संसद में अगर उनकी मेजॉरिटी है और उनकी सरकार बनी है तो पार्लियामेंट में वो कोई भी प्रस्ताव पारित करवा लेंगे. जो भी नया कानून लाना होगा लेकिन जब ये प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास जाएगा तो राष्ट्रपति का अधिकार बनता है कि वो उस पर सवाल उठाए. अगर कोई रबर स्टैंप राष्ट्रपति बनता है जैसा कि हमने अक्सर देखा है देश में जो भी प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट की तरफ से प्रस्ताव आएगा उस पर वो अपनी मुहर लगा देंगे, सवाल नहीं पूछेंगे. तो ये जो सेक्शन बैलेंस की व्यवस्था है संविधान में खासकर राष्ट्रपति पद के लिए वो खत्म हो जाता है. अगर एक ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति भवन जाता है जो सरकार के कहने पर ही चलता है अपना माइंड एक्सरसाइज नहीं करता है.